हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, डॉ. मुहम्मद रज़ा क़ासिमी, जो हौज़ा ए इल्मिया के स्मार्ट प्रौद्योगिकी रणनीति समिति के सचिव हैं, ने हाल ही में एक संवाददाता से बातचीत की जिसमें उन्होंने धर्म के प्रचार में आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस (AI) के भविष्य की भूमिका पर चर्चा की।
उनका कहना था कि आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस धर्म के प्रचार में कई तरह से मदद कर सकता है। विशेष रूप से, आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग धार्मिक सामग्री तैयार करने, शोध करने और सूचना को बेहतर तरीके से व्यवस्थित करने में किया जा सकता है। इसके अलावा, आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग धार्मिक सवालों के उत्तर देने के लिए चैटबॉट्स बनाने में भी किया जा सकता है, जो उपयोगकर्ताओं को कुरान, हदीस और पैगंबर (स) के जीवन के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करेंगे।
पूरा इंटरव्यू यहां पढ़ेः दीन की तबलीग़़ में आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस का किरदार
आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस के द्वारा बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे प्रचारक यह जान सकते हैं कि कौन सी जानकारी और संदेश किस दर्शक वर्ग के लिए अधिक उपयुक्त होंगे। इसके अलावा, आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस को यह भी सक्षम किया जा सकता है कि वह भाषणों और धार्मिक सामग्री का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में करे, जिससे अधिक लोग धार्मिक संदेशों से जुड़ सकें।
स्मार्ट प्रौद्योगिकी रणनीति समिति के सचिव ने यह भी कहा कि हमें आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल सही तरीके से और धार्मिक सिद्धांतों के साथ करना चाहिए ताकि इसके गलत उपयोग से बचा जा सके। आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस को एक सहायक उपकरण के रूप में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसके परिणामों की निगरानी हमेशा एक विशेषज्ञ द्वारा की जानी चाहिए।
इस प्रकार, भविष्य में आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग धार्मिक प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन यह जरूरी है कि इसका उपयोग सावधानी और सही दिशा में किया जाए।
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